भोग और संग्रह त्याग बनाये निडर, सहज, सरल: हाइकु

 


हाइकु :
भोग-जगत - /
धन-औ-वस्तु संग्रह -
हैं रक्षा भ्रम
***
जग जकडे /
बनाए ऐसा दास /
जो डरा-डरा
***
भौतिक जीव  /
बना मूढ, अज्ञानी /
भूल आत्मा को 
***
बन निडर 
तज भोग, हो योगी  /
हो आत्मा-स्तिथ
***
तज संग्रह /
हो सरल, सहज, /
आत्म-निर्भर 


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