एकं ब्रह्म द्वितीय नास्ति नेह ना नास्ति किंचन: ब्रह्म ज्ञान का मूल मंत्र एवं सूक्ष्म बोल आलाप
सूक्ष्म
बोल आलाप ब्रह्म -परम
सत्यसृष्टि-का, अस्तित्व-का आधार-है ब्रह्म
-
निर्गुण-है, निराकार-है अनन्त-सत्य-है, अनन्त-चित-है , अनन्त-आनन्द-है। ब्रह्मशुद्ध-अस्तित्व-है, शुद्ध-चेतना-हैजो
अपरिवर्तनीय-है, जो- शाश्वत-है, जो-सर्वव्यापी-है। आत्मा
- ब्रह्म-का-ही एक-अंशजन्म-मरण-से-परे , आत्मा शरीर- बदलती- है. इहलोकमाया-है, भ्रम-हैअविद्या-है, मिथ्या-ज्ञान-है, तम-है ब्रह्मविद्यापरम-विज्ञान-है , पूर्ण-ज्ञान-है।अंतर्ज्ञान,
संपूर्ण-अनुभव जीवन-लक्ष्य -है मोक्षमाया-से मुक्ति- है,विद्या-प्रकाश-है , ब्रह्म-ज्ञान- है, आत्मा-ब्रह्म-का-मिलन-है
निर्गुण-है, निराकार-है
Comments
Post a Comment