सत्संग रूपांतरणकारी है: कविता
सत्संग रूपांतरणकारी है: कविता
दूर रहो दुर्जनों से प्यारे,
वे अज्ञान का पथ दिखलाते।
बुरी संगति है शैतानी साया,
जीवन को वो व्यर्थ बनाते।
छोड़ो बुरी संगत को तुम,
अच्छे लोगों से नाता जोड़ो।
जीवन में परिवर्तन लाओ,
जीवन को सफल बनाओ।
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