गीता सार : बाल कविता
गीता सार : बाल कविता
कितना प्यारा गीता ग्रन्थ,
ज्ञान
का
सागर,
सुख
अनन्त।
राह
दिखाए,
ज्योति
जगाए,
कर्म,
भक्ति
का
पाठ
पढ़ाए।
क्रोध,
मोह
का
जाल
हटाए,
मन में
निर्मल
प्रेम
बसाए।
अज्ञान
का
अँधेरा
भागे,
आत्म-ज्ञान
की
लौ
जागे।
कितना न्यारा ग्रन्थ,रे ज्ञान का
भंडार,
निष्काम
कर्म
कराये,
भवसागर
से
पार।
भौतिकता
का
काटे
पाश,
ज्ञान
का
प्रकाश,
आत्मज्ञान
से,
ब्रह्मज्ञान
से,
रे
मिटें
सब
त्रास।
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