जग बंधन और मुक्ति मार्ग : दोहे और हाइकू


 जग बंधन और मुक्ति मार्ग : दोहे और हाइकू 

दोहे 

संसार, कुटुंब, जग ये हाट, बांधे मन की डोर,
मोह, क्रोध, मद, काम विष, रखते जीवन खोर।

कर्म ही जीवन गीत है, पर सकाम, बंधन लाएं ,
पर जग में ही रहते , मन से मोह मिटाएं ।

निष्काम कर्म की राह चल, मन के विकार तू छोड़ ,
मुक्ति का मार्ग है यही, बंधन से मुख मोड़।



हाइकू 

जग - माया जाल,
निष्काम कर्म करो,
मुक्ति पथ ये।  

काम औ  क्रोध, 
मद, लोभ औ मोह 
बंधनकारी 

निष्काम कर्म 
विकार मुक्त मन 
मोक्ष मार्ग हैं  


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