गीता ग्रन्थ की बात

 


गीता ग्रन्थ की बात 

ज्ञान की ज्योत जगाओ, जन्म-मरण से मुक्ति पाओ।
हर कण में प्रभु का वास,   एकत्व का है यहआभास।
देह के संग उपजे तीन गुण, सत्त्व, रजस, तमस की सुन।  
सुख, इच्छा, अज्ञान की डोर, बांधे आत्मा को हर ओर। 
सत्त्व से स्वर्ग, रजस से धन, तमस से दुख का हो जनन।
ये तीनों ही बंधन हैं, जीवन-चक्र के मंथन हैं।
इन गुणों से ऊपर जाओ , प्रभु से सच्चा नाता पाओ l 
जब इनसे पार हो जाओ, सच्चे आनंद को तुम पाओ।
फिर न कोई बंधन रहे, जन्म-मरण का अंत कहे।


Comments

Popular posts from this blog

एकं ब्रह्म द्वितीय नास्ति नेह ना नास्ति किंचन: ब्रह्म ज्ञान का मूल मंत्र एवं सूक्ष्म बोल आलाप

Preliminary fatal Air India plane crash probe report: News brief and limerick

ADVENT OF QUANTUM SCIENCE AND TECHNOLOGY: A POEM