अन्न को ब्रह्म स्वरुप जान कर भोजन बनाना व खाना और खिलाना मुक्तिदायक है: दोहे
बनाना व खाना और खिलाना मुक्तिदायक है:
दोहे
अन्न में है प्रभु अंश, यह जानो प्यारे।
बनाओ भोजन प्रेम से, मन में ईश धारे॥
पहले और खाते समय याद करो नाम,
अन्न ब्रह्म है, जीवन का धाम।
अन्न ही ब्रह्म है, अन्न ही जीवन, यह समझो सार।
मन ही जीवन केंद्र है, यह रखना याद हर बार॥
सात्विक भोजन मनोयोग से, बनाकर प्रेम खिलाओ।
प्रभु के गुण गाते रहो, जीवन सफल बनाओ॥
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