शिवरात्रि: उद्धरण और सूक्ष्म कविताएं
शिवरात्रि: उद्धरण और सूक्ष्म कविताएं
उद्धरण :
"हम आदियोगी को शिव कहते हैं, क्योंकि उन्होंने उस आयाम को जाना है जिसे हम शिव या "जो नहीं है" कहते हैं। 'जो नहीं है’ और जो इस बात को जानता है, दोनों के बीच कोई अंतर नहीं है।...जिसे हम शिव कहते हैं, वह अस्तित्व का गैर-भौतिक आयाम है, जो वास्तव में ब्रह्मांड का सबसे बड़ा आयाम है।"~ सद्गुरु
सूक्ष्म कविताएं :
अक्षय, /
अनादि , अनन्त /
शिव - आदियोगी-हैं, सोऽहं-हैं
***
शिव - /
परमात्मा-हैं, परमपिता-हैं , /
मानवमात्र उनकी संतान-हैं
***
अन्धकार -/
भौतिकता, अज्ञान -/
शुद्ध-मन-में विराजें सोऽहं
Comments
Post a Comment