ज्ञान, ज्ञाता और ज्ञेय के एकत्व भाव से सार्थक जीवन जिओ: आलाप दोहे
ज्ञान, ज्ञाता, ज्ञेय न भिन्न,
एक ही ज्योति, एक ही किरण।
ज्ञान, ज्ञाता, ज्ञेय - एक ही मानो,
ज्ञाता ही है केंद्र, ये सत्य जानो।
ज्ञेय से पहले ज्ञाता को पहचानो,
खुद को समझो, खुद को जानो।
ज्ञाता के ज्ञान से जग को जानो,
विज्ञान भी तब ही पहचानो।
ये तीनों एक हैं, यह जान लो सार,
जीवन का यही है सच्चा आधार।
इन तीनों के मेल से कर्म करो,
जीवन सार्थक, आनंद भरो।
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