HINDI POEM ON NISHKAM KARMA, DETACHED ACTION
निष्काम कर्म
कर लो कर्म, न फल की आस मन में,
जो कर्म मोह से, पाप है जीवन में,
जीवन सफल हो, त्याग मोह का बंधन।
ध्येय हो जीवन का, निष्काम कर्म अर्पण।
हेय, फल की इच्छा, लालच का जाल है,
धर्म कर्तव्य यही, निष्काम कर्म करो।
मोक्ष का पथ ये, सीधा सरल है,
विधर्म है लालसा, फल की ना सोचो।
पूजा, प्रेम, और जीवन की हर पूर्णता,
निष्काम भाव से ही सब कुछ तू पा ले।
शांति का मार्ग यही, ये ही है सुंदरता,
कर्म करता जा, प्रभु पर सब छोड़ दे।
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