कर्मयोग: षट-शब्द सूक्ष्म कविताऐं


 कर्मयोग: षट-शब्द सूक्ष्म  कविताऐं 

कर्मयोग 
गीता ज्ञान-है  
निष्काम कर्म महान-है । 

फल-की 
चिंता त्याग-दे, 
जीवन सार्थक कर-ले।   

कर्मयोग--की 
साधना कर-के 
जीवन सफल बना-ले।  

कर्म 
निष्काम-ही धर्म-है 
और फलांकाक्षा विधर्म-है।  

कर्म 
निष्काम अपना
पूजा-है, प्रेम-है, मोक्ष-है।   

सद्कर्म 
जीवन-का ध्येय-है 
फलेच्छा करना हेय-है।  

फलेच्छा 
त्याग कर 
गीता अमृत पी-ले। 

कर्मयोग-
गीता-का सार-है 
सफल जीवन-का आधार-है ।   


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