अद्वैत वेदांत का मुख्य सिद्धांत श्लोक: पढ़ें, जाने एवं मनन करें
श्लोक:
अविद्याकामकर्मादिपाशबन्धं विमोचितुम्।
कः शक्नुयाद्विनात्मानं कल्पकोटिशतैरपि॥
न योगेन न साङ्ख्येन कर्मणा नो न विद्यया: ।
ब्रह्मत्मानैकत्वबोधेन मोक्षः ॥
~विवेकचूडामणि ( ५१-१००); आदि शंकराचार्य
सन्देश:
अविद्या / अज्ञान , कामना और कर्म-दर्प के बंधन से मुक्त होने के लिए, अर्थात मुक्ति /
मोक्ष प्राप्त करने के लिए, आत्मज्ञान एवं ब्रह्मज्ञान के सिवाय कोई अन्य उपाय नहीं है, न योग, न सांख्य,
न कर्मकांड , न शाब्दिक-विद्वता / गुरु या ग्रन्थ । याने, स्वयं द्वारा स्वयं को जानें - आत्म तत्व
एवं ब्रह्म तत्व को जानें l
तालिका पढ़ें एवं मनन करें
सूक्ष्म कविता
अविद्या-बंधन-है
कामना -बंधन -है ; कर्म-दर्प-बंधन-है
बंधन-मुक्ति-हेतु आत्म-ज्ञान-प्रतिभा-जागरण साधना-करो l
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