दिव्यता जगाओ, मोक्ष पाओ: सूक्ष्म कविताएं

 दिव्यता जगाओ, मोक्ष पाओ: सूक्ष्म कविताएं 



सूक्ष्म कविताएं 


जन्म-है 

ब्रह्म-का विस्तार 

मृत्यु-है कामना-का विस्तार 

***

हो-जाओ 

कामना-शून्य, निष्काम-कर्मी 

करो-समाप्त जीवन-मरण चक्र 

***

ब्रह्म -

अव्यक्त-है, अव्यय-है,

दिव्य -है, अमर-है, सर्व-व्याप्त-है 

**

त्याग-दो 

भौतिकता, अहंकार 

शुद्ध-बनो, दिव्य-बनो, मुमुक्षु-बनो



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