जीवन भीतरी आसुरी और दैविक शक्तियों के बीच कुरुक्षेत्र है: सूक्ष्म कविताएं
जीवन भीतरी आसुरी और दैविक शक्तियों के बीच कुरुक्षेत्र है: सूक्ष्म कविताएं
.काया-माया-हैं -/
कुरुक्षेत्र, रणक्षेत्र /
मन-सहित-इन्द्रियों-औ' /आत्मा-के-बीच/ युद्धक्षेत्र -है l
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विषय-वासनाओं-में-लिप्त /
काया-क्षेत्र-के/ क्रिया-कलाप /
मन-के / विकार-है /आसुरी-शक्तियां I
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आत्मा-की /
सुप्त-शक्तियां-जगाओ,/ विस्मृत-दैविक-शक्तियां-जगाओ
मन-के/ असुरों-को / पराजित-करो l
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डालो-बदल /
कुरुक्षेत्र-को / धर्मक्षेत्र-में /
आत्म-ज्ञानी-बन-के,/ तत्व-ज्ञानी-बन-के,/,औ’-दिव्य-बन-के l
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