जीवन धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र है: सूक्ष्म कविताएं
सूक्ष्म कविताएं :
कुरुक्षेत्र-है, रणक्षेत्र-है - /
मनोविकारों-के विरुद्ध् युद्धक्षेत्र-है l
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विकारों-पर /
कामनाओं-पर विजय-पाओ /
जीवन-को धर्मक्षेत्र बनाओ l
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मन-का-निरोध /
मन-पर-विजय, स्वधर्म-है /
आत्मा-का अमरत्व जागरण-है l
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आत्मा-है
निरुद्ध्-मन. वैरागी-मन /
समभावी-मन, साक्षी-मन, शुद्ध-मन l
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विकार-हरो
,विषय-हटाओ , भौतिकता-त्यागो,
आत्मज्ञानी -बनो, तत्वज्ञानी-बनो, सनातनी-बनो l
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