फणीश्वर नाथ 'रेणु' जन्म दिवस: स्मरण एवं प्रेरित सूक्ष्म कविताएं

 फणीश्वर नाथ 'रेणु' जन्म दिवस: स्मरण एवं प्रेरित सूक्ष्म कविताएं 

फणीश्वर नाथ 'रेणु' ( 1921-1977) हिन्दी सामाजिक यथार्थवादी परंपरा के मूर्धन्य साहित्यकार रहे हैं, जिंहोनें आम आदमी की भाषा शैली और भाव-भंगिमाओं का सटीक एवं  सशक्त प्रयोग किया । उनके जन्म दिवस (4 मार्च) को याद करते हुए ललन पी डी सिंह अपनी फ़ेसबुक पोस्ट पर लिखते हैं, "रेणु की कहानियों और उपन्यासों में उन्होंने आंचलिक जीवन के हर धुन, हर गंध, हर लय, हर ताल, हर सुर, हर सुंदरता और हर कुरूपता को शब्दों में बांधने की सफल कोशिश की है। उनकी भाषा-शैली में एक जादुई सा असर है जो पाठकों को अपने साथ बांध कर रखता है। रेणु एक अद्भुत किस्सागो थे और उनकी रचनाएँ पढते हुए लगता है मानों कोई कहानी सुना रहा हो। ग्राम्य जीवन के लोकगीतों का उन्होंने अपने कथा साहित्य में बड़ा ही सर्जनात्मक प्रयोग किया है।"

उनके साहित्य से प्रेरित होकर तया उनके द्वारा प्रयोग किये कुछ सूक्ष्म कविताएं  प्रस्तुत हैं 

प्रेरित सूक्ष्म कविताएं 

बाह्यता 

वेश-परिवेश-की, इहलोक-की

 पैदा करती-है भ्रम l

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मन / सजग कर  / सत्य-पथ पर चल 

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कर / जगत-का पर्यवेक्षण - /  सूक्ष्म, सटीक 
, संपूर्ण 

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दूषित-है /  दुनिया-में सब-कुछ /  हमारे आल-जाल, बाल-हाल

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राजनिती-से / बचो, कटो / स्पष्टवादी, सुधारवादी बनो 


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